pdf BP 17-1-3-07 SGD Tumhara Jivan Bhar Na Ho
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सामाजिक कुसंस्कारोंसे, सामाजिक उत्पीड़नसे उठकर महिलाएं दया, परोपकार सत्पंथपरता, वात्सल्य-भाव आदि भारतीय प्राचीन संस्कृतिके अनुरूप सद्गुणों से विभूषित होकर सीता, सावित्री, द्रौपदीके समान बन सके-ऐसा प्रयास कर सको तो अच्छा है।
वर्ष—१७ • संख्या—१-३ • प्रबन्ध क्रमांक—७
तुम्हारा जीवन भार न होकर सर्वप्रकारसे सुखमय एवं सार्थक हो
श्रील भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराजके पत्रामृत