pdf Bhagavat Patrika Centennial Special Edition (Year 18, Issues 1-9)

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श्रीश्रीभागवत-पत्रिका
वर्ष-१८ • संख्या—१-९

नित्यलीलाप्रविष्ट ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशतश्री
श्रीमद्भक्तिवेदान्‍त वामन गोस्वामी महाराज
आविर्भाव-शतवार्षिकी-स्मारक-विशेषाङ्क

“मैं पूज्यपाद वामन महाराजजीके साथमें प्राय: ६० वर्ष रहा हूँ। मैंने उनके जीवन चरित्रको बहुत निकटसे देखा और समझा है, उनमें वैष्णवोचित सभी लक्षण थे। वे स्वभावसे ही बड़े सरल, गम्भीर, सहिष्णु, गुरु-निष्ठा सम्पन्न, वैष्णव-सेवा परयाण थे। इन्हीं सब गुणोंके कारण वे भक्तिके अति उच्च सोपान पर उपस्थित हो सके। उनकी गुरु-निष्ठा अद्भुत थी। गुरु-सेवाके लिये वे अपने प्राणोंको हाथोंमें लेकर चलते थे। हमने बहुत गुरु-सेवकोंको देखा है, किन्तु जिस प्रकारसे पूज्यपाद वामन महाराजजीने अपनी ब्रह्मचर्य अवस्था और संन्यास अवस्थामें परमाराध्यतम श्रील गुरु-महाराजकी तन, मन, वचन, भावना सब प्रकारसे सेवा की है, ऐसे गुरु-सेवक जगतमें विरले ही हैं।”
श्रील भक्तिवेदान्‍त नारायण गोस्वामी महाराज

“अपने ज्येष्ठ गुरु-भ्राताकी मधुर-स्मृतियोंके परिवेशन एवं उनके निरन्तर महिमा-गानके द्वारा श्रील भक्तिवेदान्‍त नारायण गोस्वामी महाराजने अपने चरणाश्रितजनों एवं अनुगतजनोंके हृदयोंमें श्रील भक्तिवेदान्‍त वामन गोस्वामी महाराजके अद्भुत-अप्राकृत व्यक्तित्व, आदर्श जीवन-चरित्र एवं शिक्षाओंके विषयमें अधिकाधिक रूपसे अवगत होनेकी वर्धनशील अभिलाषाका रोपण किया है।”
सम्पादकीय

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